
विख्यात सायकोएनालिस्ट श्री दीप त्रिवेदी, व्यापक सायकोलोजिकल दृष्टिकोण रखनेवाले एक उत्कृष्ट लेखक और वक्ता हैं। इनका लेखन मनुष्य को अपनी संपूर्ण क्षमता प्राप्त करने की ओर अग्रसर करने के साथ-साथ जीवन की प्रचलित कार्यप्रणालियों और तौर-तरीकों पर प्रश्न भी उठाता है। इन्हें मानव-मन और मस्तिष्क की कार्यपद्धति का इतनी गहराई से ज्ञान है कि ये किसी भी घटना या मानव-जीवन के प्रवाह का आकलन करने में सक्षम हैं। यही कारण है कि इनके द्वारा लिखी कई किताबों में से एक का शीर्षक है ‘भाग्य’।
Honour is an Illusion And so is Respect and Humiliation
That which your soul accepts is religion Everything else is irreligion
Beauty exists When there is a flow And no effort
If ‘it’ is mine, I will have to worry about it If ‘it’ belongs to the Supreme Soul The latter will worry about it
Until you learn to ‘Do’ without Doing You will not attain great success in life