March 21, 2015 9:30 am

जो स्वयं का मालिक बन जाता है वह अपनेआप वह शक्ति पा लेता है जहां से वह संसार का मालिक बन सके। बाकी तो जो अपने मालिक नहीं, वे जीवनभर सबकी जी-हुजूरी को बाध्य होते ही हैं।

21.3