मनुष्य के पास तीन निर्णायक शक्ति होती है। एक तो उसकी आत्मा होती है जो ऑटोमेशन मोड पर होती है तथा सिर्फ सर्वहित में निर्णय करती है। परंतु हम अभी आत्मा से बहुत दूर हैं, सो उसकी छोड़ें। फिर हमारे पास बच जाते हैं दिल और बुद्धि। …तो हर निर्णय में बुद्धि तो हरकोई लगा रहा है। बुद्धि लगाने का अर्थ हैः अपने हित की सोचकर तथा सारे कैल्क्युलेशन करके पूरी तरह प्रेक्टिकल निर्णय लेना। परंतु इससे किसको मिल क्या रहा है? जबकि दिल से निर्णय करने का अर्थ है बस दिल ने कहा और कर दिया। न स्वार्थ, न कैल्क्युलेशन और ना ही लॉजिक। और ध्यान रखो अंत में दिल के किए अधिकांश निर्णय सही साबित होते हैं। …लेकिन मनुष्य हैं तो बुद्धि तो लगानी ही पड़ेगी। पर मैं कहता हूँ मनुष्य हो इसलिए यह आदत बदलनी पड़ेगी। जीवन में सुख और सफलता चाहते हो तो दिल से निर्णय करो। क्योंकि दिल प्रकृति के निकट है और प्रकृति आपका हित ही चाहती है।
April 25, 2015